Bhagvadgita Ke Rahasya

Bhagvadgita Ke Rahasya

Paperback (27 Mar 2018) | Hindi

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Publisher's Synopsis

कृष्ण सही जगह पर सीधी चोट करते हैं और अर्जुन के हृदय में चल रहे द्वंद्व के पार देख लेते हैं, भावनात्मकता और कर्तव्यपरायणता के बीच चल रहे द्वंद्व को, ''हे अर्जुन, तुम उनके लिए शोक कर रहे हो, जो शोक करने योग्य ही नहीं हैं और साथ ही बड़े विद्वानों जैसी बातें कर रहे हो। यह तुम्हारे लिए उचित और उपयुक्त नहीं है। जो ज्ञानवान् है, वह न तो मृत के लिए शोक करता है और न जीवित के लिए।'' 'अनुचितता' व 'अनुपयुक्तता' वे सारतत्त्व हैं, जिन पर भगवद्गीता में दी गई कृष्ण की सारी शिक्षा आधारित है। कृष्ण फिर और भी बहुत सारे सत्य अर्जुन के सामने उजागर करते हैं, जो उसके असत्य तथा मिथ्या विश्वासों के उस अंधकार को मिटा देते हैं, जिनके चलते वह अपने वास्तविक स्वरूप को नहीं पहचान पा रहा था। इस प्रकार अपने मोह व भ्रम के दूर हो जाने और अपनी स्मरण शक्ति को वापस पा लेने से अर्जुन इस इतिहास-प्रसिद्ध युद्ध में विजय प्राप्त कर सका। यह पुस्तक कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए संपूर्ण उपदेश पर कोई भाष्य नहीं है। इसका केंद्रबिंदु तो भगवद्गीता के सार को, कृष्ण के गूढ़ योग को और परलोकों के अज्ञात विधानों को प्रकट करना है। श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत करती पठनीय पुस्तक।

Book information

ISBN: 9789352666157
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Prabhat Prakashan Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 138
Weight: 181g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 8mm