Publisher's Synopsis
संग्रह की ग्यारह कहानियों को दो दिन में पढ़ गया हूं। रुचिकर न लगने पर इतना पढ़ा जाना सहज नहीं होता । 'अंतत ' तो अच्छी लगी ही 'स्वभाव', 'अभाव', 'नयी बात', 'बूंद पानी' और 'किसी एक शहर में' भी सचमुच सवाक् चित्र लगीं। 'नयी बात' खासकर। पसंद अपनी रुचि पर भी निर्भर करती है।
- यशपाल
यशस्वी कथाकार (साहित्य अकादमी से पुरस्कृत)